Church से Temple : अब हम अमेरिका में एक चर्च के धर्म परिवर्तन का विश्लेषण करेंगे। America के एक 100 साल पुराने चर्च को मंदिर में बदल दिया गया। यहां पर भगवान की मूर्तियां स्थापित हो चुकी हैं। हिंदुओं ने यहां पर पूजा पाठ भी शुरू कर दी है। आपने आज से पहले कई बार लोगों के धर्म परिवर्तन की खबरें सुनी होंगी। कई बार यह धर्म परिवर्तन स्वेच्छा से होता है और कई बार लालच देकर डराधमका कर भी धर्म परिवर्तन कराया जाता है। लेकिन America में चर्च के धर्म परिवर्तन की खबर इससे बिल्कुल अलग है।
Church से Temple : विदेशों में हिंदू संस्कृति का विस्तार
सबसे पहले आप इस पूरी खबर को समझिए और चर्च से बने मंदिर के बारे में जानिए। America के Ohio राज्य के Cleveland city में एक मंदिर का निर्माण किया गया है। यह मंदिर पहले 100 साल पुराना एक चर्च था जिसे स्वामी नारायण संप्रदाय ने ₹180 करोड़ में खरीदा। फिर 2 साल के अंदर इस चर्च को एक मंदिर में बदल दिया। इस चर्च को मंदिर में बदलने के दौरान उसकी वास्तुकला में कोई परिवर्तन नहीं किया गया।
वास्तुकला किस प्रकार का था
इस मंदिर में भारतीय मंदिरों जैसे गुंबद और शिखर जैसी स्थापीय शैलियों का इस्तेमाल किया गया है। इस मंदिर की कुल जमीन 4.13 एकड़ है। लगभग चार एकड़ कह सकते हैं। जबकि मंदिर परिसर जो पहले एक चर्च था वो 19,000 वर्ग फुट में फैला हुआ है। इस खबर को देखने के बाद आप भी सोच रहे होंगे अगर भारत में किसी 100 साल पुराने धर्म स्थल को दूसरे धर्म स्थल में बदला जाता तो विवाद हो जाता। बड़े आंदोलन हो सकते थे। यह इंटरनेशनल मुद्दा भी बन सकता था। राजनीतिक दल भी इस विवाद में यकीनन कूद जाते।
भारत में विवाद होता है पर अमेरिका में स्वीकृति हुआ है
America, जहां पर ईसाई इतनी बड़ी संख्या में रहते हैं, वहां एक चर्च हिंदू मंदिर में तब्दील हो गया। लेकिन विवाद की खबर नहीं आई। आखिरकार यह कैसे हुआ? आज हम आपको यह भी बताएंगे। अमेरिका में भी किसी पुराने चर्च को मंदिर में बदलना आसान नहीं है। यहां बिल्डिंग कोड और हेरिटेज नियम बहुत कड़े हैं। यही वजह है कि इस चर्च की वास्तुकला को नहीं बदला गया। सिर्फ अंदर से इसे मंदिर का रूप दे दिया गया। चर्च को मंदिर में बदलने के लिए 15 से ज्यादा सरकारी विभागों से अनुमति लेनी पड़ी। अमेरिका में इस तरीके के निर्माण के हर स्तर पर अलग जांच और अनुमति जरूरी होती है।
कड़ी प्रक्रिया लेकिन सफल प्रयास
कई बार आसपास रहने वाले लोग विरोध करते हैं। जिसमें पार्किंग, ट्रैफिक और सांस्कृतिक बदलाव को लेकर चिंता जाहिर की जाती है। लेकिन इस मंदिर के मामले में ऐसी किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा क्योंकि America का संविधान धर्म की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। इस तरह चर्च को खरीदे जाने के 2 साल बाद यह मंदिर अब बनकर तैयार हो गया है। जब मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई तो बहुत बड़ी संख्या में यहां पर भारतीय मूल के लोग मौजूद थे।
प्रवासी भारतीयों की भूमिका
अमेरिका के जिस शहर में इस चर्च को मंदिर में बदला गया वहां भारतीयों की आबादी 2500 से 3000 के बीच हैं। इसमें भी सबसे ज्यादा आबादी गुजरात के लोगों की है जिन पर स्वामी नारायण संप्रदाय का प्रभाव काफी ज्यादा है। और इसीलिए एक चर्च मंदिर में बदल पाया। आज आपको चर्च के मंदिर में बदले जाने की वजह भी समझनी चाहिए। अमेरिका में चर्च मंदिर में क्यों कन्वर्ट हुआ? इसकी सबसे बड़ी वजह अमेरिका में ईसाई समुदाय की संख्या में आई गिरावट है। 2007 में अमेरिका में 78% ईसाई थे जो 2024 तक सिर्फ 62% रह गए।
आखिर चर्च ही क्यों मंदिर में बदला गया
अमेरिका में तेजी से किसी भी धर्म को नहीं मानने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है। चर्च में जाने वाली पुरानी पीढ़ी की मृत्यु हो रही है और युवा पीढ़ी चर्च से दूरी बना रहे हैं। आर्थिक तंगी की वजह से कई चर्च मेंटेनेंस खर्च तक नहीं उठा पा रहे हैं। इसके अलावा शहरी इलाकों में चर्चों की संपत्ति की कीमत बढ़ रही है इसलिए उनको बेचना ज्यादा फायदेमंद होता है। जब चर्च बिकते हैं तो प्रवासी समुदाय इन्हें खरीद कर अपने धार्मिक स्थलों को स्थापित कर देते हैं। क्लीवलैंड में भी ऐसा ही हुआ जहां चर्च को खरीदकर कानून के हिसाब से इसे मंदिर में बदल दिया गया।
विरोध हुआ या स्वागत हुआ
आपके दिमाग में यह सवाल अभी भी घूम रहा होगा। स्थानीय ईसाइयों ने इसका विरोध क्यों नहीं किया? आज आपको इस सवाल का जवाब भी जानना चाहिए। स्थानीय लोगों ने इसका विरोध नहीं किया। इसकी भी दो बड़ी वजह हैं। पहला चर्च का खाली होना यानी लोगों ने चर्च में आना बंद कर दिया था। इसलिए मंदिर बनने पर लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ा। दूसरी वजह इस चर्च की बिल्डिंग के मंदिर बनने के बाद हिंदू अब उसका रखरखाव करेंगे। मंदिर का कम्युनिटी सेंटर के तौर पर इस्तेमाल होगा तो इससे आसपास की अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा।
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