क्या AI के Ghibli style art एक पाप है? कया AI परंपरागत कला और कलाकारों के लिए खतरा है? Ghibli style art के बारे में सब कुछ जानिए। 2025 का सबसे बड़ा पाप?

Ghibli style art

Ghibli Style Art

कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर हर कोई अपनी तस्वीर को Ghibli style art में बदल के post कर रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि open AI ke इस Ghibli AI art generator लोगों के लिए कितना खतरा साबित होसकता है ?कया आप जानते हैं की AI हमारी सदियों पुरानी कला, कलाकारों और परंपराओं को निगल सकता है ?
तो चलिए जानते हैं आखिर Ghibli style art क्या है? और AI के कारण दुनिया के किन-किन कला-संस्कृतियों पर प्रभाव पड़ सकता है और कितने लोगों की नौकरियां जा सकती हैं?

Ghibli का मतलब क्या है?

Ghibli एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब है – ‘गर्म रेगिस्तानी हवा‘।

इस शब्द का इस्तेमाल World War II के दौरान एक italian विमान के नाम के लिए भी किया गया था।

Ghibli की कहनी, हायाओ मियाज़ाकी कौन है?

बात है 1940 की, जब द्वितीय विश्व युद्ध (WWII) चल रहा था। उस दौरान अमेरिका ने जापान पर आर्थिक प्रतिबंध (economic sanctions) लगा दिए, जिसमें oil steel और अन्य आवश्यक संसाधनों की supply रोक दी गई। उस समय जापान को इन संसाधनों (resources) की सख्त ज़रूरत थी। इसके बाद जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर पर हमला कर दिया। इसके परिणामस्वरूप अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिरा दिए।

चारों ओर अफरा-तफरी मच गई। लोग जान बचाने के लिए भाग रहे थे।इन्हीं भयानक हालातों में एक 4 साल का लड़का अपने परिवार के साथ ट्रक में जा रहा था, जिसमें जिसका नाम था हायाओ मियाज़ाकी। उसने देखा कि उनके पीछे एक औरत मदद के लिए दौड़ रही थी लेकिन कोई उसकी बात नहीं सुन रहा था। अंततः उसकी मौत हो गई। इस दुखद घटना को मियाज़ाकी जीवन भर नहीं भूल पाए। इस दृश्य ने मियाज़ाकी के मन में एक गहरी छाप छोड़ दी।

इसके बाद उनकी मां की भी कम उम्र में मृत्यु हो गई, जो टीबी की बीमारी से पीड़ित थीं। उनके पिता एक Aeroplane parts manufacturing company के director थे। यह company Mitsubishi A6M Zero के लिए rudder बनाती थी। यह वही air craft था, जिसने पर्ल हार्बर पर हमला किया था।

बचपन से ही मियाज़ाकी को पेंटिंग और फाइटर प्लेन्स में काफ़ी दिलचस्पी थी। धीरे-धीरे वे एक एनीमेशन स्टूडियो में काम करने लगे, लेकिन जल्द ही उन्होंने अपना खुद का स्टूडियो खोलने का सपना देखा। एक ऐसा स्टूडियो जो सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि कला, भावना और युद्ध-विरोधी संदेश को फैलाए।

उन्होंने अपने स्टूडियो का नाम रखा – Ghibli। वो चाहते थे कि उनका Animation studio Japani animation ke दुनिया मे नई हवा बहाए। Studio Ghibli की हर फिल्म के सीन्स को हाथों से बनाए जाते हैं। उनकी एक फिल्म–”The Wind Rises” के सिर्फ़ 4 सेकंड के सीन को बनाने में 1 साल 3 महीने लगे थे। उस सीन में जो कैरेक्टर्स और विमान का डिज़ाइन था, उसे बनाने में 2 से 4 महीने लग गए थे।

Studio Ghibli की हर एक सेकंड की एनीमेशन के लिए लगभग 12 से 24 चित्र बनाए जाते हैं। यानी अगर फिल्म 8,220 सेकंड की है, तो इसका मतलब है 8220 × 24 = 197,280 ड्राइंग है। ये सभी चित्र हाथों से, धैर्यपूर्वक, भावनाओं के साथ, बहुत बारीकी से बनाए जाते हैं। यही वजह है कि उनकी फिल्में जीवंत लगती हैं और लोगों के दिलों को छू जाती हैं।
हायाओ मियाज़ाकी खुद हर फ्रेम को देखते और सुधारते हैं क्योंकि वो मानते हैं – ‘कला, जीवन का सम्मान है।’

और यही कारण है कि 2016 में उन्होंने AI से बने आर्टवर्क को “life ka insult” बताया था।”
लेकिन आज ChatGPT और अन्य AI टूल्स की मदद से लोग सिर्फ कुछ सेकंड्स में ऐसे आर्टवर्क बना लेते हैं, जिससे लगता है कि असली कलाकारों की मेहनत, उनकी पहचान और सम्मान को कोई महत्व नहीं मिल रहा।

Hayao Miyazaki
Hayao Miyazaki

पारंपरिक मूर्तिकला पर AI का असर

मूर्तिकला, जो सदियों से हमारे समाज की आत्मा रही है मंदिरों की देव प्रतिमाओं से लेकर लोककलाओं में प्रयुक्त मूर्तियों तक, मूर्तिकला ने पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे समाज में एक विशेष स्थान बनाया है। भारत के मुरादाबाद, जयपुर, या महाबलीपुरम जैसे क्षेत्रों में पीढ़ियों से कारीगर मूर्तियाँ बनाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।

लेकिन अब AI और 3D प्रिंटिंग technique की मदद से कोई भी व्यक्ति अपने जैसा हूबहू स्टैच्यू कुछ ही समय में बनवा सकता है। इसके लिए बस एक मशीन में जाना होता है, जहां 3D स्कैनिंग होती है। फिर AI इमेज डेटा को एनालाइज़ करके डैमेज या मिसिंग हिस्सों को auto complete करता है और 3D प्रिंटर से प्लास्टिक या किसी अन्य मटेरियल में हूबहू आपकी statue बना दी जाती है। इसितरहा किसी पुरानी ऐतिहासिक मूर्ति को भी फिर से बनाया जासकता है।

अब सवाल उठता है क्या इन मशीनों से बने आर्टवर्क्स में वो भावना होती है, जो एक शिल्पकार अपनी हर रचना में डालता है?”
ऐसे में परंपरागत शिल्पकारों और ग्रामीण कारीगरों की जीविका प्रभावित हो सकती है।

क्या पटोला जैसे high skilled technique AI से बच पाएगा?

पटोला एक high skilled based पारंपरिक कला है, जिसमें एक पूरी फैमिली मिलकर महीनों तक एक साड़ी बनाती है। पहले इसका डिज़ाइन मन से या कागज़ पर बनाया जाता है, जिसमें कला, ध्यान और समर्पण छिपा होता है। डिज़ाइन में ज्यामितीय पैटर्न, धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक, पशु, फूल और मानव आकृतियाँ होती हैं।इसके बाद कारीगर यह सोचता है कि किस धागे को किस रंग में, किस जगह पर रंगना है। इसमें हर धागे का रंग, हर पैटर्न का स्थान सोच-समझकर तय किया जाता है। और इन सब प्रक्रियाओं को पूरा करने में 6 महीने से लेकर 1 साल तक का समय लग सकता है।

अगर पूरा handwoven पटोला बनाना है तो इसमें 5 से 7 साल का डेडिकेशन चाहिए लेकीन अगर कोई AI की मदद से असली डिज़ाइन को स्कैन करके, बिना आर्टिस्ट को क्रेडिट दिए उनके डिज़ाइन को copy करके बनाने लगेंगे, तो इसमें असली कलाकार की पहचान , सम्मान और मूल्य खत्म हो जाएगा।

पारंपरिक कलाओं में AI का प्रभाव

AI का प्रभाव पारंपरिक पेंटिंग्स पर भी पड़ सकता है जैसे:

इन पेंटिंग्स को सीखने में 6 महीने से लेकर 1 से 5 साल तक का समय लग सकता है। हर आर्ट फॉर्म एक story, devotion, belief और technique का mix है।

किसी paintings में सारे spiritual geometric symbol को fixed place में बनानी होती है तो किसी painting में story sequence को ध्यान रखना पड़ता है। इतना ही नहीं इसमें artist को बोहोत देर तक एक ही position में बैठना पड़ता है जिससे उनके eyes, hands, और back पे stress होता है क्यूं कि यह बहोत detailed work है।

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Category – Artificial Intelligence

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