4 सितंबर को Nepal की सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा कदम उठाते हुए 26 मेजर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बैन कर दिया। इनमें Facebook, Messenger, Twitter, WhatsApp, LinkedIn और Telegram जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म शामिल हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इतना बड़ा फैसला क्यों लिया गया और इसका असर आम लोगों पर क्या पड़ेगा? आइए विस्तार से समझते हैं।
कौन-कौन से प्लेटफॉर्म्स हुए बैन?
बैन किए गए प्लेटफॉर्म्स में Facebook, Messenger, Twitter, WhatsApp, LinkedIn, Telegram समेत कुल 26 बड़े सोशल मीडिया ऐप्स शामिल हैं। अब यूज़र्स इन पर मैसेज भेजने या प्रोफाइल देखने तक में सक्षम नहीं हैं।
वहीं, कुछ ऐप्स जैसे TikTok, Viber, Nimbus, PPO Live अभी भी काम कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने नेपाल सरकार के रजिस्ट्रेशन नियमों को पूरा किया है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्यों आया?
असल में, नेपाल सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया कंपनियों को आदेश दिया था कि वे:
1. मिनिस्ट्री ऑफ कम्युनिकेशन एंड आईटी के साथ रजिस्टर हों।
2. लोकल कांटेक्ट ऑफिसर और ग्रिवाइंस हैंडलिंग ऑफिसर नियुक्त करें।
लेकिन कई कंपनियों ने इस आदेश को नजरअंदाज कर दिया। नतीजतन, कोर्ट ने इसे कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट यानी अदालत की अवमानना माना और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ISPs) को निर्देश दिया कि इन प्लेटफॉर्म्स को बंद कर दिया जाए।
रजिस्ट्रेशन की शर्त क्यों रखी गई?
सरकार का कहना है कि अगर कोई यूज़र सोशल मीडिया पर फेक कंटेंट, हेट स्पीच या किसी की निजी तस्वीरों का गलत इस्तेमाल करता है, तो कार्रवाई करने के लिए कंपनियों का लोकल ऑफिसर होना जरूरी है।
उदाहरण:
मान लीजिए किसी लड़की की तस्वीर को AI से मॉडिफाई करके गलत कंटेंट बना दिया गया और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया गया। ऐसे में अगर नेपाल पुलिस कार्रवाई करना चाहे तो उन्हें कंपनी से संपर्क करने के लिए कोई लोकल ग्रिवाइंस ऑफिसर चाहिए।
यही वजह है कि नेपाल सरकार ने कंपनियों से रजिस्ट्रेशन और लोकल ऑफिसर नियुक्त करने की शर्त रखी।
Nepal की जनसंख्या और महत्व
नेपाल की जनसंख्या लगभग 3 करोड़ है। तुलना करें तो यह यूरोप की तीन देशों – पुर्तगाल, चेक रिपब्लिक और ग्रीस – की कुल जनसंख्या के बराबर है।
इसलिए नेपाल की सरकार मानती है कि इतनी बड़ी जनसंख्या वाले देश को सोशल मीडिया कंपनियों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
क्या है भविष्य की योजना?
नेपाल की संसद में सोशल मीडिया रेगुलेशन बिल का ड्राफ्ट पहले से मौजूद है। संभव है कि आने वाले समय में इस पर सख्त नियम बनाए जाएं और सोशल मीडिया कंपनियों पर और भी कड़े कानून लागू हों।
जनता और जर्नलिस्ट्स की राय
बैन के बाद नेपाल में कई पत्रकारों और संगठनों ने इस फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह कदम:
फ्री स्पीच (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) पर हमला है।
प्रेस फ्रीडम को कमजोर करता है।
राइट टू इंफॉर्मेशन का उल्लंघन है।
वहीं, सरकार का तर्क है कि यह फैसला जनता की सुरक्षा और गलत कंटेंट रोकने के लिए लिया गया है।
VPN का इस्तेमाल
हालांकि नेपाल में कई लोग अब भी VPN (Virtual Private Network) का इस्तेमाल करके बैन किए गए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स चला रहे हैं। लेकिन आम लोग, जिन्हें VPN का ज्ञान नहीं है, वे फिलहाल सोशल मीडिया से कट गए हैं।
प्रवासी नेपाली नागरिकों पर असर
लगभग 70 लाख नेपाली विदेशों में काम या पढ़ाई कर रहे हैं। WhatsApp और Messenger बंद होने से उनका अपने परिवार से सीधा संपर्क काफी प्रभावित हुआ है।
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